Wednesday, January 18, 2012

Reflection


मंजिल-ए-जिंदगी

मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे से हम सभी भली-भाँती परिचित हैं. वे आज के समाज में फैले भ्रष्टाचार एवं अव्यवस्था के कड़े विरोधी हैं. उन्होंने अपना सारा जीवन देश और समाज की सेवा में लगा दिया है. हम कह सकते हैं कि समाज-सेवा एवं देश-सेवा की भावना उनके रग-रग में भरी है. लेकिन यह सब ऐसे ही उनके जीवन का अभिन्न अंग नहीं बन गया, इसके पीछे एक लंबी कहानी है. अगर हम उनके अतीत में झाँककर देखेंगे तो हमें पता चलेगा कि अन्ना हजारे एक अत्यंत गरीब परिवार से है, यहाँ तक कि अपनी पढाई पूरी करने तक के लिए उनके पास पैसे नहीं थे. अपने भाई-बहनों में केवल अन्ना ही पढे-लिखे हैं, वो भी सिर्फ सातवीं कक्षा तक. गरीबी के कारण उन्हें अपनी पढाई छोड़कर मुंबई के रेलवे स्टेशन पर फूल बेचकर गुज़ारा करना पड़ा.
पर्याप्त योग्यता ना होने के बावजूद भी उन्हें मिलट्री में नौकरी दे दी गयी. वहाँ जीवन की अनेक कड़ी सच्चाइयों से अन्ना का सामना हुआ. एक बार युद्ध में सब कुछ समाप्त हो जाने पर भी खुद को जिंदा पाया तो जीवन से बड़ी निराशा हुई, उन्होंने आत्महत्या करने का विचार किया. फिर अचानक उन्हें आशा कि नई किरण दिखाई दी. अन्ना खुद लिखते हैं “उस ट्रक आक्रमण के बाद मैं सोच में पड गया. मुझे लगा कि ईश्वर मुझे किसी विशेष कार्य के लिए ज़िंदा रखना चाहता था. उस रणभूमि में मेरा नया जन्म हुआ था. और मैंने अपनी नई जिंदगी को लोगों की सेवा में लगाने का फैसला किया.” और उसके बाद की कहानी हम सब खुद जानते हैं.
इसका मतलब यह है कि सभी का जन्म किसी न किसी मकसद से हुआ है. पवित्र बाइबल में हम ऐसे कई लोगों के बारे में पढते हैं जिन्हें ईश्वर ने एक खास मकसद के लिए दुनिया में भेजा था. सेमसन, सामुएल, इब्राहीम, कई सारे नबी लोग आदि ऐसे ही अनेक व्यक्ति हैं. उन सभी व्यक्तियों का जन्म किसी न किसी विशेष मकसद के लिए हुआ था. जब इस्रायली जनता फिलिस्तियों के अत्याचार से तंग आ गयी और उसने प्रभु की दुहाई दी तो प्रभु ने चमत्कारिक ढंग से सैमसन को न्यायकर्ता के रूप में भेजा. जब तक उसने प्रभु को दी हुई प्रतिज्ञा को बनाये रखा तब प्रभु उसके साथ था. लेकिन जैसे ही उसने प्रभु द्वारा दिए गए वरदान को स्वार्थ के लिए उपयोग किया तो उसे इसका नुकसान भी उठाना पड़ा. सामुएल के द्वारा ईश्वर ने इस्राएल के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा.
हम में से प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर ने एक विशेष मकसद से इस दुनिया में भेजा है, और उस मकसद को पूरा करने की आवश्यक क्षमताएं भी उसने हमें दी हैं. अपने जीवन के उस उद्धेश्य को पूरा करने के लिए पर्याप्त वरदान भी प्रभु ने हमें दिए हैं. हमारा जन्म भी ईश्वर कि योजना पूरी करने के लिए हुआ है. प्रभु येसु के शिष्य होने के नाते हमारा सबसे परम मकसद इस संसार के समक्ष अपने मुक्तिदाता कि अगुआई करना है. हमें संसार की ज्योति बनने के लिए बुलाया गया है. यही उचित समय है कि हम अपने जीवन के सही मकसद को पहचानें तथा अपने मुक्तिदाता की अगुआई करने के लिए स्वयं को उचित रूप से तैयार करें. 
- Johnson B. Maria